बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध रोकने जनजागरूकता जरूरी- कलेक्टर


लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम संबंधी प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित
 
रायसेन - समेकित बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के संबंध में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित की गई। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में कलेक्टर श्री उमाशंकर भार्गव ने कहा कि बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध जैसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग में लैंगिक अपराधों के प्रति जनजागरूकता जरूरी है।
कलेक्टर श्री भार्गव ने कहा कि बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध जैसी घटनाओं का होना चिंता का विषय है तथा इसका बाल मन बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे आना जरूरी है और बच्चों को भी असुरक्षित स्पर्श पहचानने के बारे में जानकारी देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पाक्सो अधिनियम के तहत बालकों को मिलने वाले संरक्षण के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है, जिससे कि ऐसे अपराधों में कमी लाई जा सके।



कार्यषाला में जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री संजय गहरवाल द्वारा लैंगिक अपराध, पाक्सो एक्ट के तहत की जाने वाली कार्रवाई और प्रावधानों के बारे में पावर पाइंट प्रजेन्टेषन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में जानकारी दी गई कि 18 वर्ष से कम आयु के बालकों के साथ लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य अपराधों से बालकों को संरक्षण प्रदान करने के लिये पॉक्सो अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चे, जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ है या करने का प्रयास किया गया है, वे सब इसके दायरे में आते हैं। यह कानून जहां बच्चे के साथ लैंगिक शोषण की घटना हुई हो या होने की संभावना हो, दोनों ही स्थिति में लागू होता है। पॉक्सो कानून के तहत कोई भी व्यक्ति बच्चे के साथ लैंगिक अपराध करता है अथवा दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर अपराध करते हैं तो ऐसे मामले पर पॉक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है। कार्यशाला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।  

अपराध घटित होने या आशंका होने पर करें शिकायत -
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि किसी बालक का किसी विधि विरूद्ध लैंगिक क्रियाकलाप से उत्पीड़न या उत्प्रेरण, अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग, बालक का लैंगिक शोषण करने के लिए उकसाना या बहकाना या प्रयास करना या प्रलोभन देना या धमकी देना, लैंगिक आशय के साथ बालक-बालिका के निज अंगो को छूना, बालक का या तो सीधे या इलेक्ट्रानिक या अन्य साधनों के माध्यम से पीछा करना, देखना या सम्पर्क कर यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। कोई व्यक्ति या बालक जिसे यह आशंका है कि किसी बालक के विरूद्ध अपराध किए जाने की संभावना है या अपराध हुआ है तो वह चाइल्ड लाईन 1098, विशेष किशोर पुलिस इकाई, स्थानीय पुलिस में अपराध की रिपोर्ट कर सकता है। विशेष पुलिस इकाई द्वारा अपराध घटित होने पर 24 घण्टे के अंदर तुरंत चिकित्सा देखरेख और संरक्षण के लिए निकटतम अस्पताल में चिकित्सा उपलब्ध कराई जाती है।

पीड़ित की पहचान उजागर करना दण्डनीय अपराध -
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि मीडिया द्वारा बालक की पहचान, नाम, पता, फोटो, परिवार की जानकारी, विद्यालय या अन्य कोई जानकारी जिससे पीड़ित बालक-बालिका की पहचान उजागर होती है, तो न्यूनतम 6 माह से एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डनीय है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार से मीडिया, स्टूडियो, फोटो चित्रण से संबंधित कोई पूर्ण या अधिप्रमाणित सूचना रखे बिना रिपोर्ट या टीका टिप्पणी नहीं करेगा जिससे की प्रतिष्ठा का हनन हो एवं गोपनीयता का उल्लंघन होता है। ऐसा करने पर न्यूनतम 6 माह से एक वर्ष तक का करावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित करने का प्रावधान है। कार्यशाला में आदिम जाति कल्याण विभाग की जिला संयोजक पूजा द्विवेदी, अन्य पिछड़ा वर्ग की सहायक संचालक श्रीमती संगीता जायसवाल सहित छात्रावास अधीक्षक एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।  


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