देवदूत बनकर आए एनडीआरएफ और चिकित्सकों का दल


 
रायसेन - अगस्त की 29 तारीख की रात से तेज बारिश होने और बरगी बांध के गेट खोलने से नर्मदा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा था। गांव में बाढ़ का पानी भर गया था और गांव समुद्र के किसी टापू की तरह दिखाई दे रहा था। घर से निकल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचना मुश्किल हो गया था। ग्राम मांगरोल निवासी राजकुमार बताते है कि, ऐसी कठिन परिस्थिति में गर्भवती पत्नी पूजा की बेहद चिंता हो रही थी। बाढ़ का पानी इतना था की खुद बाहर निकलना पत्नी और परिजनों की जान जोखिम में डालना था। क्योंकि पत्नी की डिलीवरी का आखिरी समय चल रहा था। मैं यह सोच ही रहा था कि कैसे बरेली पहुंचू और अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराऊँ। तभी बाढ़ राहत केन्द्र का ध्यान आने पर मैंने तुरंत बाढ़ राहत केंद्र को सूचना दी।
राजकुमार ने बताया कि बाढ़ राहत केन्द्र में सूचना करने के कुछ समय बाद ही एनडीआरएफ की टीम लेने मांगरोल आ गई। बचाव दल के लोग बिल्कुल परिजनों की तरह हमें बाढ़ से निकालकर बरेली अस्पताल ले गए और मेरी पत्नी पूजा को भर्ती कराया। जहां पूजा ने स्वस्थ्य बेटे को जन्म दिया। राजकुमार कहते है, कि एनडीआरएफ की टीम ने बाढ़ से निकालकर हमारी ही नहीं बल्कि हमारे बच्चे की भी जान बचाई है। हमारे लिए एनडीआरएफ और डॉक्टर्स की टीम किसी देवदूत से कम नहीं हैं। अगर वे नहीं आते तो शायद हम अस्पताल भी नहीं पहुंच पाते। पता नहीं क्या होता हमारा। राजकुमार ने कहा कि आज मुझे पता चला कि प्रशासन लोगों की जानमाल की रक्षा के लिए कितना सजग और संवेदनशील रहता है। बचाव दल के लोग हमें बचाने के लिए अपनी जान भी जोखिम में डालते हैं। राजकुमार ने जिला प्रशासन और बचाव दल के सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
डॉ गिरीश वर्मा ने बताया कि 30 अगस्त को प्रातः 10 बजे राजकुमार द्वारा सूचना देने के तुरंत बाद एनडीआरएफ के दल गांव के लिए रवाना हो गया। एनडीआरएफ दल द्वारा राजकुमार और उसकी 22 वर्षीय पत्नि पूजा को उनके गांव से निकालकर दोपहर 12 बजे बरेली चिकित्सालय ले आए। यहां मेरे द्वारा पूजा का स्वास्थ्य परीक्षण कर डॉ रेणुका अहिरवार को पूजा की डिलेवरी के लिए कहा। डॉ रेणुका अहिरवार ने दोपहर 01 बजे पूजा की नार्मल डिलीवरी कराई। पूजा ने स्वस्थ्य बेटे को जन्म दिया जिसका वजन 2.7 किलोग्राम है। इस दम्पत्ति की यह पहली संतान है।


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