ॐ श्री प्रकट साई दर्शन नमः
कण कण मे प्रकट साई दर्शन
मेरे घर साई जी का विराट अद्भुत स्वरुप है । जिसे मै हर पल निहारती रहती हूँ एक दिन साई जी बहुत उदास नज़र आये उदासी का क्रम 2 से 3 दिन चला मैंने अपने बेटे सुनील विरमानी (साई उदी सेवा वाले) को कहा बाबा को ध्यान से देख उसे भी साई जी उदास दिखे हम दोनों साई जी को देख कर उदास हो गये ।
उधर 2 से 3 दिन से मेरे भाई गुरचरण लाल हमारे घर नही आये थे उन को फोन किया की आप क्यों नही आ रहे तब पता चला की उन के पैर मे मोच आई थी और 3 दिनों से भैया बुखार से ग्रस्त थे ।
मै अपने बेटे के साथ अपने भाई के घर चली गई वहाँ जाकर मेरी भतीजी (मोना सिकरी) ने कहा बुआ जी आप को कुछ दिखाना है मेरे साथ वॉशरूम चलो ओर मै मोना के साथ वॉशरूम के अन्दर चली गई वहाँ दरवाजे में लगा शीट पर जो प्रतिबिम्ब दिखा वो साई रूप मे था मैंने अपने बेटे को आवाज़ दी सुनील अन्दर आना सुनील ने अन्दर आ कर देखते ही कहा *कण कण मेरे साई* यहाँ साई जी का प्रकट दर्शन जैसे द्वारकामाई मे शिला पर बैठे है वैसा स्वरुप दिखा.... सुनील ने अपने मोबाईल से फोटो खींच ली और साई जगत से जुड़े आदरणीय साई भक्तो को भेजी सभी का एक ही जवाब आया *"मेरे साई"* वह पावन दिन बुधवार रात्रि का समय था. जब साई दर्शन करके हम घर पहुंचे तो साई जी के चेहरें पर मधुर मुस्कान देखने को मिली जैसे लगा साई जी मुस्कराते हुए हमारा स्वागत कर रहे हो !!
साई प्रकट दर्शन की बात जब साई भक्त गीतकार राजीव साई दिवाना जी को पता चली तो उन की साई लेखनी से अद्भुत काव्य की रचना हुई :-
*मुख पर मुस्कान कभी उदास नजर से आते हैं,*
*कण कण में बसे मेरे साई,*
*पल पल एहसास कराते है !*
*अद्भुत लीला मेरे साई की,*
*हम क्यों समझ ना पाए,*
*प्रकट हुए दर्शन दिए,*
*जन-जन के मन हर्षाए !!*
अगले दिन सुनील ने साई जी का स्वरुप मामा जी एवंम् मामी जी (श्री गुरचरण लाल जी एवंम् श्रीमति प्रेम लता जी) की अनुमति से दरवाज़े पर लगी शीट को काटा और साई जी के प्रकट स्वरूप को अलग करके अपने मामा जी-मामी जी को सौपा और उन्होंने ने साई आशीर्वाद के रूप यह स्वरूप अपने भांजे सुनील को सौप दिया ।
मैंने सुनील को साई स्वरूप फ्रेम मे जड़वाने के लिए मार्किट भेजा पर साई जी की अद्भुत लीला देखो मार्किट जाने से पहले सुनील अपने परम मित्र पवन ग्रोवर की कैमिस्ट शॉप पर गया पवन को प्रकट साई दर्शन करवाऐ,,और कहा यह साई जी का प्रतिबिम्ब मामा जी के घर प्रकट हुए हैं और अब मै साई स्वरूप को फ्रेम में जड़वाने मार्किट जा रहा हूँ तब पवन ने कहा भाई फ्रेम मेरे पास रखा है देख लो की साई बाबा जी का स्वरूप इस मे लग जाये शायद साई जी के फ्रेम की सेवा मेरे सौभाग्य में हो और साई जी का स्वरूप फ्रेम मे आ गया ।
साई जी अगले अति पावन दिन साईवार रात्रि के समय मेरे घर साई जी पधारे। हम अब नित्य *कण कण बसे साई जी के प्रकट साई दर्शन* करते है !!
*!! ॐ श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु !! शुभं भवतु !!*
*साई शब्दो के साथ साई लेखनी को विश्राम देती हूँ !!*
*साई प्रणाम सहित*
राज विरमानी
माता साई उदी सेवक सुनील विरमानी
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