मण्डीदीप।
श्रीमद्भागवत कथा हमें जीने की कला को सिखाती है। हमारा जीवन किस प्रकार से होना चाहिए। शरीर बदलता रहता है। जन्म मृत्यु का चक्र चलता रहता है। परमात्मा सब के अंदर विराजमान रहता है। उपरोक्त बात पटेल नगर में आयोजित भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पण्डित अशोक चौबे ने कही। उन्होने कहा कि धन को पवित्र कामों में लगाकर सदुपयोग करें। सब यहीं रह जाएगा। पापी व्यक्ति भी श्रीमद्भागवत कथा के रसपान से मोक्ष की प्राप्ति करता है। मन को भटकने से बचाने के लिए हमेशा भागवत चर्चा में लीन रहना चाहिए। जीवन में हमें तीन प्रकार की दुख प्राप्त होते हैं। पहला दुख परिवार से प्राप्त होता है, दूसरा दुख सगे संबंधियों व संपर्क के व्यक्तियों से होता है। तीसरा दुख दैवीय आपदा से मिलता है। हम सभी सुख चाहते हैं। दुख कोई नहीं चाहता। हमें पुरुषार्थ करने की जरूरत है। वह भी धर्म के अनुरूप करना पड़ेगा। हमारे कर्म के अनुसार ही हमें सुख दुख प्राप्त होता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे
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