राज सोनी (मनीष)
मण्डीदीप।
संतान ऐसी हो जो धर्म, समाज व देश की रक्षा के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दे। उदाहरण पेश करना सरल है, उदाहरण बनना बहुत कठिन है। यह विचार जैन मुनि संस्कार सागर ने षनिवार को ग्राम पंचायत दहोद में शास्त्र वचन संबोधित करते हुए व्यक्त किए। जैन मुनि ने कहा कि पाप की तो मर्यादा होती है पुण्य की मर्यादा नहीं होती। पुण्य के फल की मर्यादा होती है पाप के फल की नहीं। असीमित पुण्य का संचय मनुष्य को नर से नारायण बनाकर सिद्ध शिला में विराजमान कर देता है। उन्होंने आगे कहा कि आज हम सुबह उठते हैं तो हमारा जिनालय का रास्ता ही सही दिशा और दशा की ओर ले जा रहा है, अन्यथा भौतिक सुख-सुविधा के सभी रास्ते पाप की ओर धकेल रहे हैं। अत्यधिक कामनाएं एवं आकांक्षाओं के वशीभूत होकर पल-पल पाप की क्रियाएं कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति ऐसी संस्कृति है, जो आचरणयुक्त विचारों पर चलती है। हमारे देश की संस्कृति व संस्कारों से बच्चों को संस्कारित करना अत्यंत आवश्यक है। मुनि ने भगवान जिनेंद्र के दर्शन किए
जैन मुनि संस्कार सागर ने पद यात्रा करते हुए नूरगंज स्थित जैन मंदिर, से विहार करते हुए दहोद स्थित श्री पाष्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहंुचे, जहां देवप्रभु जिनेंद्र भगवान के दर्शन किए। समाज के लोगों ने मुनि की अगवानी कर आरती उतारी। मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को मुनिश्री के सनिध्य में भगवान पदमप्रभु का निर्वाण महामहोत्सव पर्व दहोद में मनाया जाएगा। जिसमें प्रातः 7 बजे से भगवान की पूजन अभिषेक, पारसनाथ विधान व निर्वाण लाडू चढ़ाया जाएगा।
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